Skip to main content

राज्यसभा के चुनाव से लोकसभा के चुनाव को आंकना गलत



 19 मार्च 2018 को सीएम योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के सीएम के तौर पर अपने कार्यकाल का एक साल पूरा कर लिया. भारी बहुमत, 325 सीटें जीतकर सरकार बनाई ..लंबे समय के बाद बीजेपी की यूपी में सरकार बनी है... जनता ने अपना आशीर्वाद दिया....
राज्यसभा के चुनाव में बीजेपी के खाते में 9 सीटें, समाजवादी पार्टी के खाते में 1सीट और बहुजन समाज पार्टी के खाते में 0 सीटें आईं....

2019 में लोकसभा चुनाव होना तय है पर 2014 में गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने भारत को गुजरात मॉडल दिखाकर चुनाव जीत लिया.. और 2018 में उपचुनाव में बीजेपी करारी हार का सामना करना पड़ा, शायद इससे बुरी हार भी नहीं हो सकती...सीएम और डिप्टी सीएम अपना गढ़ नहीं बचा पाएं..
2019 का चुनाव सभी पार्टियों को देखना है.. पर कौन जीतेगा कौन हारेगा इस राज्यसभा चुनाव के नतीजे से नहीं लगाया जा सकता..
जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसका पलड़ा उतना भारी( राज्यसभा चुनाव)
आप गांवों में जाइए तो आपको पता चल जाएगा कि मौजूदा सरकार से जनता कितनी त्रस्त है और कितनी खुश .. क्यों कि असली हिंदोस्तां गांवो में बसता है।।।



 --------- नवीन कुमार

Comments

Popular posts from this blog

प्यार का मतलब सेक्स होता है क्या ?

दिल्ली जैसे बड़े शहरों में हर रोज लोगों को किसी न किसी से प्यार होता है.... प्यार करना कोई गुनाह नहीं है... दुनिया में प्यार जैसा कुछ होता भी नहीं है... प्यार की कोई कीमत नहीं होती... प्यार जबरदस्ती नहीं होता... प्यार पैसों के बल पर नहीं खरीदा जा सकता... प्यार अनमोल है... प्यार मां-बेटे में होता है, प्यार बाप-बेटी में होता है.. प्यार भाई- बहन में होता है... प्यार अनजाने लोगों से होता है... अगर ये मेरा ब्लॉग आप पढ़ रहे हैं तो प्यार हममें और आपमें भी हो सकता है.. हमारा और आपका प्यार आगे भी बढ़ सकता है.... आज मैंने सोचा ऑफिस से छुट्टी का दिन है और प्यार पर ही एक ब्लॉग लिखते हैं.... पेशे से पत्रकार होने के नाते एक दूसरे से मिलना जुलना लगा रहता है.. एक जगह से दूसरे जगह आना जाना भी लगा रहता है.... लोगों को अपने आखों के सामने बदलते हुए देखा है, कि समझ नहीं आता कि वो दिखावा प्यार के चक्कर मे दोस्तों को कहे तो कम खुद को भी भुला देते हैं... बस अपने फर्जी प्यार में लीन हो जाते हैं... और दिखावटी प्यार के चक्कर में अंधा पागल हो जाते हैं... और जब जिसको चाहता है वो मिल जाती है तो 2 से 4 दिन वाकई

जनता मूर्ख या नेता ?

  जनता मूर्ख या नेता अपने में ये बड़ा सवाल होता है...हम जनता मूर्ख है या फिर नेता..... हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि चुनाव आते हैं औऱ चले भी जाते हैं...ऐसा तो हर एक चुनाव में होता है पर आज तक एक बात समझ में नही आई कि चुनाव में मूर्ख कौन बनता है... सारे नेता अपनी अपनी रैलियां करते हैं सभी के रैली में जमकर भीड़ होती है..सभी के रैली में वही लोग आते हैं जो विपक्षी पार्टी की रैली में आये थे....मेरा कहने का मतलब है कि वही जनता आती है...चाहे वो पैसों के बल पर आये,चाहे वो और किसी के बल पर आये...पर आती तो वही जनता  ही है.. आप अपना जवाब कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं.... आपका अपना भाई   Naveen kr. Nandan Email- tanashahitakat@gmail.com

बेतुकेबाज बयानबाजी!

लगातार बढ़ रहे डीजल प्रेट्रोल के दामो ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री अल्फोंस कनन्नथानम ने अपने बयानबाजी से खुद ही अपने बातों का पलीता लगा कर रख दिया है. मुझे समझ में नही आता कि ये कैसी बयानबाजी है ऐसी बयानबाजी भी की जाती है क्या. पेट्रोल-डीजल खरीदने वाले लोग कोई भूखे रहने वाले नहीं हैं , वे कार और मोटरसाइकिलों से चलते हैं. और डीजल – पेट्रोल के बढ़े हुए दामों से चिंता करने की कोई बात नहीं है. https://tanashahi.blogspot.in/2017/09/blog-post_18.html तेल की कीमत बढ़ाने का फैसला सरकार ने जानबूझ कर लिया है. जो इससे  राजस्व मिलेगा उसका  उपयोग गरीबों के लिए आवास , शौचालय बनाने और बिजली पर खर्च किया जाता है. यह बात इसलिए लोगों के गले नहीं उतर रहा कि पहले ही सरकार ने अलग-अलग मदों में कई तरह के उपकर लगा कर पहले से  ही रखे हुए है. सबसे दिलचस्प बात यही है कि अल्फोंस ने इस बात को नजर-अंदाज किया और कहा  कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से वाहन चालकों पर कोई भी असर नहीं पड़ता.