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ये लोकतंत्र नहीं राजतंत्र है ?


हम लोकंतांत्रिक देश में देश में जी रहे हैं... हमारा संविधान हमें बोलने की आजादी देता है.... ये तो होती है रटी रटाई बातें...  शायद हमारे देश की सत्ता जो है वो अब लोकतांत्रिक ना होकर राजतांत्रिक हो गई है.... अगर राजतांत्रिक ना होती तो नेता का बेटा नेता होना मुश्किल था/ है और रहेगा.... यूपी के शामली में एक पत्रकार सज्जन को मारा पीटा जाता है.. और इंसानी मूत्र पिला दिया जाता है... और हमारी सरकार चुप चाप हाथ पर हाथ रखे बैठी हुई देख कर मजे लेती है.. हालांकि जब कुछ लोग इसका विरोध करते हैं तो एक आदेश आता है कि आरोपी को निलंबित कर देते हैं... और गोदी मीडिया (LEFT & RIGHT) बखूबी अपना धर्म निभाते हुए बड़ी ख़बर के तौर पर चलाती है... कि सरकार की तरफ से बड़ी कार्रवाई की गई है... हालांकि किसी चैनल में इतना दम नहीं है कि सरकार से सवाल कर सके.. उसके नुमाइंदे को कटघरे में खड़ा कर सके....
अगर अब भी आपको लगता है कि आप पत्रकार हैं और देश में FREEDOM OF SPEEECH है तो भूल जाइए... मेरी सलाह यही है कि आप भी किसी के दलाल बन जाइए और अपना जीवन यापन ठीक तरीके से कीजिए.. वरना.. मेरी तरह ना घर के होंगे ना ही घाट के....


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प्यार का मतलब सेक्स होता है क्या ?

दिल्ली जैसे बड़े शहरों में हर रोज लोगों को किसी न किसी से प्यार होता है.... प्यार करना कोई गुनाह नहीं है... दुनिया में प्यार जैसा कुछ होता भी नहीं है... प्यार की कोई कीमत नहीं होती... प्यार जबरदस्ती नहीं होता... प्यार पैसों के बल पर नहीं खरीदा जा सकता... प्यार अनमोल है... प्यार मां-बेटे में होता है, प्यार बाप-बेटी में होता है.. प्यार भाई- बहन में होता है... प्यार अनजाने लोगों से होता है... अगर ये मेरा ब्लॉग आप पढ़ रहे हैं तो प्यार हममें और आपमें भी हो सकता है.. हमारा और आपका प्यार आगे भी बढ़ सकता है.... आज मैंने सोचा ऑफिस से छुट्टी का दिन है और प्यार पर ही एक ब्लॉग लिखते हैं.... पेशे से पत्रकार होने के नाते एक दूसरे से मिलना जुलना लगा रहता है.. एक जगह से दूसरे जगह आना जाना भी लगा रहता है.... लोगों को अपने आखों के सामने बदलते हुए देखा है, कि समझ नहीं आता कि वो दिखावा प्यार के चक्कर मे दोस्तों को कहे तो कम खुद को भी भुला देते हैं... बस अपने फर्जी प्यार में लीन हो जाते हैं... और दिखावटी प्यार के चक्कर में अंधा पागल हो जाते हैं... और जब जिसको चाहता है वो मिल जाती है तो 2 से 4 दिन वाकई

जनता मूर्ख या नेता ?

  जनता मूर्ख या नेता अपने में ये बड़ा सवाल होता है...हम जनता मूर्ख है या फिर नेता..... हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि चुनाव आते हैं औऱ चले भी जाते हैं...ऐसा तो हर एक चुनाव में होता है पर आज तक एक बात समझ में नही आई कि चुनाव में मूर्ख कौन बनता है... सारे नेता अपनी अपनी रैलियां करते हैं सभी के रैली में जमकर भीड़ होती है..सभी के रैली में वही लोग आते हैं जो विपक्षी पार्टी की रैली में आये थे....मेरा कहने का मतलब है कि वही जनता आती है...चाहे वो पैसों के बल पर आये,चाहे वो और किसी के बल पर आये...पर आती तो वही जनता  ही है.. आप अपना जवाब कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं.... आपका अपना भाई   Naveen kr. Nandan Email- tanashahitakat@gmail.com

बेतुकेबाज बयानबाजी!

लगातार बढ़ रहे डीजल प्रेट्रोल के दामो ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री अल्फोंस कनन्नथानम ने अपने बयानबाजी से खुद ही अपने बातों का पलीता लगा कर रख दिया है. मुझे समझ में नही आता कि ये कैसी बयानबाजी है ऐसी बयानबाजी भी की जाती है क्या. पेट्रोल-डीजल खरीदने वाले लोग कोई भूखे रहने वाले नहीं हैं , वे कार और मोटरसाइकिलों से चलते हैं. और डीजल – पेट्रोल के बढ़े हुए दामों से चिंता करने की कोई बात नहीं है. https://tanashahi.blogspot.in/2017/09/blog-post_18.html तेल की कीमत बढ़ाने का फैसला सरकार ने जानबूझ कर लिया है. जो इससे  राजस्व मिलेगा उसका  उपयोग गरीबों के लिए आवास , शौचालय बनाने और बिजली पर खर्च किया जाता है. यह बात इसलिए लोगों के गले नहीं उतर रहा कि पहले ही सरकार ने अलग-अलग मदों में कई तरह के उपकर लगा कर पहले से  ही रखे हुए है. सबसे दिलचस्प बात यही है कि अल्फोंस ने इस बात को नजर-अंदाज किया और कहा  कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से वाहन चालकों पर कोई भी असर नहीं पड़ता.