आजकल मैं तो बेरोजगार हूं। वैसे भी तो कोई कामधंधा है नहीं। इधर-उधर घूमना-फिरना ज्यादा हो रहा है। कल शाम को मैंने अपने घर पर जरूरी काम के लिए एक दोस्त को बुलाया... और हम लोगों ने कहीं घूमने जाने का प्लान बनाया। पहले सोचा कि मेट्रो से चला जाए। क्योंकि मेट्रो स्टेशन घर के पास में ही है। फिर सोचा ऑटो ले लेते हैं.. उसने बोला ऑटो से अच्छा तो कैब करते हैं तो फिर हम लोगों ने ऊबर कैब बुक किया। शाम का समय था, तो करीब 25 मिनट दिखा रहा था कि कैब 25 मिनट में आपके लोकेशन पर होगी। जैसे ही 15 मिनट रहा। तभी एक मोहतरमा की कॉल आती है। सर... मैं आपके लोकेशन पर ठीक 15 मिनट में पहुंच जाऊंगी। और हमारे पास ठीक 15 मिनट में कैब भी आ गई। गाड़ी नंबर देख हमने गेट तो खोला। और हम दोनों गाड़ी में पिछली सीट पर बैठ कर बातें रहे थे। तभी मेरी नजर ड्राइवर की हाथों पर पड़ी। देखा कि ड्राइवर के पास महज 3 ऊगुलियां है। और सिर्फ 3 ऊगुलियों से गाड़ी चला रही है। फिर हमारी बात ड्राइवर से हुई तो उसने बताया कि हालात सबकुछ करवा कर ही मानता है। इतना कहने के बाद उस महिला की आंखों में आंसू आ ग...