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हमारे देश का युवा हो रहा हिंसक?

हमारे देश का युवा हो रहा हिंसक... ये आपको पढ़ने और दूसरों से कहने में बहुत कड़वा लगेगा.. पर आपको सोचना चाहिए कि ये एकदम सत्य है... कि हमारे देश और समाज का हर एक जाति और वर्ग का युवा हिंसक होता जा रहा है... क्या आपने कभी सोचा ऐसा क्यों... हमारे देश और समाज का युवा लगातार हिंसक हो रहा है... क्या ये हमारे समाज के लिए शुभ संकेत है....कतई नहीं... पर युवा वर्ग के सामने बहुत ही बड़ी मजबूरी है... जो कि हम कह सकते हैं कि ये हमें लगातार विरासत में मिलती जा रही है.... युवाओं ने स्कूली शिक्षा तो ग्रहण कर लिया..... नैतिकता से लगातार दूर होता है...जिससे हमारे देश के युवाओं में चरित्र नाम की कोई चीज नहीं रह गई है.... क्यों कि हम हिंदू और मुस्लिम में उलझे पड़े हैं... छोटी-छोटी बातों पर हिंसक हो जाना.. आक्रामक रुख अपना लेना... लगता है युवा वर्ग की ये मनोवृत्ति बन सी गई है... क्या आपको लगता है ऐसे आक्रामक स्थिति से हमारे देश का किसी भी तरह से भला नहीं हो सकता ..... ऐसे में सरकार बदला जाना उतना महत्तव पूर्ण नहीं है... जितना कि समाज को बदले जाने की जरुरत है.... इस मुद्ददे पर हमारे देश और प्रदेश की सरकारों के पास मानो सोचने और समझने की क्षमता ही खत्म हो गई हो.... इसके पीछे कारण ये है कि जिनको समाज और धर्म के बारे में पता ही नहीं है वही हमारे देश और समाज का रक्षक के आड़ में भक्षक बना बैठा है....जिसे इंसान कहना ठीक नहीं होगा ( इंसान बनना बड़ी बात है) ... इसलिए हम आदमी का प्रयोग कर रहे हैं.... जिस आदमी को अपने धर्म के बारे में पता होगा.. वही हमारे देश भारत ( सोने की चिड़िया ) का भला कर सकता है... जिस हिसाब से हमारे देश में दिन-ब-दिन धर्म मजहब के नाम पर लड़ने मरने पर उतारु हो गया है... तो ऐसे में क्या हम एकता सद्भाव की बात कर सकते हैं... ये एक विचारणीय प्रश्न है... जिसको लेकर हमारे समाज के बुद्धजीवियों को सोचना चाहिए और जो भी हो सके... समाज को बदलने का प्रयास करना चाहिए... ------ Naveen kr. Nandan

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