स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा का सवाल...
सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार कौन है... सरकार या अभिभावक
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......पिछले कई दिनों से लगातार दिंल्ली - एनसीआर समेत पूरे देश में बवाल मचा हुआ है . इसका मेन कारण यही है कि जो रयान स्कूल में बच्चे की हत्या की गई . इसके बाद से ही दिल्ली के ही टैगोर इंटरनेशनल स्कूल में एक बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया.
बच्चों के घर के माता- पिता भी यही मानते हैं कि घर के बाद उनके बच्चे अगर ज्यादा सुरक्षित हैं तो वह है स्कूल.
हम आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही देश में एक- एक घटनाएं सामने आती रहती हैं.और आयी भी है कहीं पर तो स्कूल बस के चपेट में आने से बच्ची अपनी जान गँवा बैठती है.तो कहीं पर बच्चा स्कूल के ही सीढ़ीयों पर गिरने से मरण को प्राप्त हो जाता है.. स्कूलों से जुड़ी ये सारी बातें हमको डराती है,चौंकाती है और निराश भी करती है.
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स्कूलों के सुरक्षा को लेकर कई सालों से सवाल उठ रहे हैं अभी दिल्ली में कुछ दिनों के पहले ही स्कूल के ही परिसर में दो लड़कियों पर जबरदस्त प्रहार किया जाता है.शाम ढलने को था ये पता नही चल पाया कि इन मासूस बच्चियों के साथ ये जघन्य अपराध किसने किया.
अब तो हर एक बच्चों के माता पिता इतने डर और सहम से गये हैं कि अपने बच्चे को बाहर के किसा भी शहर में पढ़ने के लिए नहीं भेजना चाहते .न भेजने का मुख्य कारण आप तो समझ ही गये होंगे. अगर इसी तरह से बच्चों के ऊपर अपराध होता रहा तो बच्चे किसके भरोसे पढ़ाई करने के लिए स्कूल जाएँगे.
मामला यही नहीं थमता.. हमारी सरकार कहती है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ..
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जो इन बेटियों के रखवाले हैं वो ही बेटियों के साथ दुष्कर्म करने में पीछे नहीं रहते और स्कूल में या कहीं पर अगर किसी बहन- बेटी की जान चली जाती है तो सबसे पहले सरकार के नेता जी ही उस पर अपनी राजनीतिक रोटिंयाँ सेंकने में लग जाते हैं.
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अब सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि हमारे बच्चों के सुरक्षा का जिम्मेदार कौन है ?
अभिभावक हैं या स्कूल प्रशासन या फिर सरकार....
हर किसी के जहन में यही सवाल आता है पर कैसे ये तो मेरे समझ से बाहर है.
अभिभावक रोटी के तलाश में सुबह से लेकर शाम तक मेहनत करता है, अभिभावक घर में ही देखभाल कर सकता है न कि स्कूल या कॉलेजों में .
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दूसरा नम्बर आता है स्कूल प्रशासन का ... अरे स्कूल कैसे बच्चों की देखभाल करेगा स्कूल तो ही बच्चों के खुद मरवाता है औऱ बाद में कुछ बोलने को तैयार नही होता है...रही बात सरकार की ... हम कैसे भरोसा करें कि हमारी सरकारें इस पर कोई एक्शन ले सकती है सरकार के पास बैठे हुए नेता जी को तो बस एक ही चीज समझ में आता है कि कैसे इस पर राजनीति की जाए , बैठकर पूरी रणनीति तैयार करते हैं और बाद में टी.वी. के सामने आकर चीखते - चिल्लाते हैं .. इतना तो ठीक ही है पर इतने पर मामला नहीं थमता होमवर्क करके आते है कि किस सरकार मे कितने लोगों की मौंते हुई है.. बेशर्मी की हदें तभी पार हो जाती है जब टीवी पर आकर आँकड़े देने लगते हैं, स्टूडियों में बैठा एंकर बेचारा क्या करें उसकी भी तो मजबूरी है कि किसी तरह वो बहस को आगे बढ़ाए. और टाइम पूरा करें.
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Naveen kumar
very nice
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