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साफ - सफाई के नाम पर धन उगाही !

हमारे देश में स्वच्छता अभियान बहुत धूम धड़ाके के साथ चल रहा है. हाँ जरुर चल रहा है पर हकीकत में नहीं . बस केवल विज्ञापनों में चल रहा है.
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि आज तक हमने न तो कहीं पर कूड़ादान देखा न तो सफाई कर्मचारी. अगर आपको असली हिंदोस्तां देखना है तो गाँव की तरफ जाकर देख लीजिए जहाँ पर दुनिया बसती हैं.
सिर्फ और सिर्फ गिने चुने शहरों में साफ - सफाई करवाने से हमारा देश साफ सुथरा नहीं हो जाएगा.जिस भारत को आज साफ करवाने का काम किया जा रहा है और साफ भी नहीं हो रहा है . मैं फिर कह रहा हूँ अगर असल सच्चाई देखना है तो गाँव की तरफ जाइए और देखिए कि कितना साफ हो रहा है गाँव . जब गाँव साफ होगा तभी हमारा देश साफ होगा.  और जब हमारे हुक्मरान साहब आएँगे तो उससे पहले गाँवो की सफाई चंद घंटों में करवा दी जाती है . पर इस समय गाँवो की हालात  साफ सफाई के मामले में खस्ता हाल है .



               

कुछ समय पहले  भारत को सोने की चिड़िया  कहा जाने वाले देश का क्या नाम है मुझे तो नहीं पता और मैं ये भी नहीं जानता कि आपको पता होगा कि नहीं. हाँ हम इतना जरुर कह सकते हैं कि भारत अब सोने की चिड़िया नही रही .
पर मेरे जहन में एक सवाल  जरुर उठता है कि भारत का नाम सवच्छता वाला देश कब कहा जाएगा . जैसे तब था वैसे आज भी है.
सबसे दिलचस्प बात  यह हो जाती है कि अगर हम फोन में रिचार्ज करवाते हैं तो सर्विस टैक्स के अलावा स्वच्छता का भी चार्ज लिया जाता है. पर सफाई के नाम पर जीरो.

हाँ ये कड़वा एकदम से सत्य है. अगर हम कहीं पर पैसे लगाये और उसका फायदा हमें न मिले तो पैसे देना तो एकदम से बेकार है इसालिए हम कह रहे हैं  स्वच्छता के नाम पर हमसे मोटा पैसा लूटा जा रहा है.  लोगो औऱ सिम्बल देने से  खुद- ब़-खुद सफाई तो हो नही जाएगी. सफाई करवाने के लिए काम करना होगा.


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